Hindi Hasya Kahani: चिंटू जी मरने चले

गजब हो गया भाई, हमारे चिंटू जी आत्महत्या करने चले। आज की Hindi Hasya Kahani में चिंटू जी का पत्नी से झगड़ा इतना बढ़ा कि वह मरने के लिए रेल की पटरी पर जा बैठे।

Hindi Hasya Kahani: मेरे मकान मालिक चिंटू जी

वैसे तो मेरा घर दिल्ली में है, लेकिन बीते एक साल से मैं एक छोटे से कस्बे में रह रहा हूँ। मेरी कम्पनी ने एक प्रोजेक्ट का इंचार्ज बना कर मुझे यहाँ भेजा हुआ है। जब मेरा स्थानांतरण इस छोटे शहर में हुआ, तो पदोन्नति के साथ हुआ था। इस कारण मैं मना भी नहीं कर सकता था। मैंने एक घर यहाँ किराए पर लिया था। नीचे मकान मालिक चिंटू जी रहते थे और ऊपर तीन कमरे मेरे पास थे। अभी मैं अकेला ही आया था। परिवार मेरा दिल्ली में ही रह रहा था। मैंने सोचा थोड़ा नई जगह को देखभाल लूँ, फिर घरवालों को बुलाता हूँ।

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Hindi Hasya Kahani: चिंटू जी मरने चले

Hindi Hasya Kahani: चिंटू जी और उनकी पत्नी का झगड़ा

शाम को ऑफिस से घर पहुंचा और अपने साथ जरुरत का सामान जो मैं लाया था, खोल कर कमरे में रखने लगा। इतने में जोर जोर से लड़ाई की आवाजें आने लगी। एक स्त्री और पुरुष के चिल्लाने के स्वर रात की शांति को भंग कर रहे थे। ध्यान देने पर पता चला कि, ये तो मेरे मकान मालिक चिंटू जी और उनकी पत्नी के लड़ने की आवाजें थी। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था और सोच रहा था कि ये मेरा इस शहर में कैसा स्वागत हुआ। अभी तो आज पहला दिन है और मेरी अभी बिल्कुल नई नई पहचान थी इन लोगो से। मैं समझ नहीं पा रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए?

मैं परेशान भी था कि ऐसे माहौल मैं और मेरा परिवार कैसे रह पाएगा? असमंजस में, मैं कोई निर्णय नहीं ले पा रहा था कि क्या मुझे बीच बचाव का प्रयास करना चाहिए या नहीं? अनगिनत प्रश्नों की उधेड़बुन में फंसा….. आखिर नतीजे में पहुंचा कि पति पत्नी के झगड़े में मुझे नहीं जाना चाहिए यह सोच कर मैं चुप चाप बैठ गया।

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Hindi Hasya Kahani: चिंटू जी मरने चले

उन लोगों का झगड़ा तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। चिंटू जी का क्रोध से भरा स्वर उत्तरोत्तर बढ़ता ही जा रहा था। अंत में, चिंटू जी बोले मैं रेल के नीचे सर देने जा रहा हूँ। मुझे एक दम से झटका लगा। तभी उनकी पत्नी भी बोली कि, “जाओ जाओ ! तुम्हें किस ने रोका है”।

Hindi Hasya Kahani: चिंटू जी चले मरने

उसके बाद जोर से दरवाजा बंद करने की आवाज आई और मैंने चिंटू जी को अपना छाता उठाए हुए बाहर जाते देखा। अब मुझ से रहा नहीं गया और मैं नीचे जा कर चिंटू जी की पत्नी से बोला, गुस्से में चिंटू जी आत्महत्या करने जा रहे हैं। आप को चिंता नहीं हो रही? आप उन्हें रोकती क्यों नहीं? चिंटू जी की पत्नी शांत स्वर में बोली, “आप चिंता मत कीजिए यह तो इनका रोज का नाटक है” अभी थोड़ी देर में आ जायेंगे। मुझे कुछ अचरज हुआ। मैंने कुछ विस्मय से भरे शब्दों में पूछा! लेकिन वह छाता क्यों लेकर गए हैं? वह बोलीं, अभी आएंगे! तो आप ही पूछ लेना।

Hindi Hasya Kahani: छाते की करामात

An animated man holding umbrella.
Hindi Hasya Kahani: चिंटू जी मरने चले

अगस्त का महीना चल रहा था, तभी थोड़ी देर में हल्की बारिश होने लगी। मैंने देखा की चिंटू जी भीगते हुए वापिस आ रहे हैं। मैंने सोचा गुस्से में होंगे तो फिर झगड़ा ना हो जाए, पर मैं गलत था। आते ही शांति के साथ अपनी पत्नी से बोले, तुम ने ये छाता ठीक नहीं करवाया था। ये तो खुल ही नहीं रहा, मैं पूरा भीग गया। उनकी पत्नी बोली, कल ठीक करवा दूंगी। मैंने जिज्ञासावश पूछा, चिंटू जी आप तो मरने गए थे, वापिस कैसे आ गए। वह बोले, “बताया ना छाता नहीं खुल रहा था और बारिश होने लगी थी”। मैं मुस्कुराता हुआ ऊपर अपने कमरे में आ गया।

Hindi Hasya Kahani: फिर से आत्महत्या करने चले चिंटू जी

ऐसे ही, कुछ दिन बाद फिर यह सब हुआ। उस दिन इतवार था। मैंने सोचा कि देखता हूँ, आखिर चिंटू जी जाते कहाँ हैं। मैंने देखा कि चिंटू जी इस बार भी आत्महत्या के लिए जाते समय कुछ अपने साथ लेकर जा रहे हैं। जब मैने उनके हाथ की ओर देखा तो वो छाते के स्थान पर आज टिफिन लेकर जा रहे हैं। मैं भी कौतूहल वश उनके पीछे चल दिया। देखा कि वह घर से आधा किलोमीटर दूर रेल की पटरी पर जा कर बैठ गए और अपना टिफिन खोल कर खाने लगे।

Hindi Hasya Kahani: खुल गया चिंटू जी का राज

पहले तो चिंटू जी सकपकाये, फिर बोले जब घर पर उकता जाता हूँ, तो शांति के लिए यहाँ आ जाता हूँ। टिफिन तो इसलिए लाया हूँ कि कई बार बहुत देर हो जाती है और भूख लग आती है। मैंने कहा, चिंटू जी आप तो बस आप हो। क्या कहने आपके! शांति पाने के लिए क्या रास्ता ढूंढा है। कुछ देर वहां बातें करने के बाद हम वापस घर की ओर चल दिए।

Hindi Hasya Kahani: An animated man on the rail track.
Hindi Hasya Kahani: चिंटू जी मरने चले

जैसे ही हम घर के दरवाजे पर पहुंचे तो देखा उनकी पत्नी उनका इंतजार कर रही हैं। चिंटू जी के साथ मुझे देख कर, अचरज भरी निगाहों से देखते हुए बोलीं! आप इनके साथ कैसे? तभी मैंने मुस्कुराते हुए मनचले अंदाज़ में कहा, मैं भी सीखने गया था कि आत्महत्या कैसे करते हैं। मेरा इतना कहना था कि सब जोर जोर से हंसने लगे।

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