चुटकुला का मतलब क्या होता है | Chutkula Kya Hai

चुटकुला, जोक या लतीफा का मतलब शब्दो की ऐसी संरचना जिसे सुनकर सुनने वाले के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाये। चुटकुला अक्सर किसी के ऊपर एक व्यंग्य होता है, जिसमें कि एक व्यक्ति, एक परिस्थिति को बड़े मजेदार तरीके से प्रस्तुत करता है और सुनने वाला उस आनंदरस का पान करता है। चुटकले के रूप में हम किसी घटना की प्रस्तुति को छोटी मनोरंजक उक्ति या अनूठी बात के रूप में कह सकते हैं।

चुटकुला का मतलब क्या होता है | Chutkula Kya Hai New Definition

हंसी कुदरत की सबसे बड़ी सौगात है

हंसी कुदरत की सबसे बड़ी नेमत है, इसीलिए दोस्तों हंसना बहुत जरूरी है। जो लोग हमेशा हंसते रहते हैं, वह बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान निकाल लेते हैं। इसके विपरीत जो मनुष्य उदासीन और गंभीर रहते हैं, वह बहुत जल्दी हताश और निराश हो जाते हैं और क्षणभर में छोटी से छोटी समस्या पर परेशान हो जाते हैं। हंसना और मुस्कुराना ईश्वरीय वरदान है, जो संपर्क में आने वाले सभी मनुष्यों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

हंसने के फायदे

हंसाने के कई कॉमेडी शो आते हैं, जिन्हें देखकर लोग अपने पूरे दिन की थकावट को दूर कर लेते हैं। जीवन क्षणभंगुर और सुख-दुःख का एक सजीव रूप है। एक पल में सुख है तो दूसरे ही क्षण किसी चिंता और अवसाद के कारण दुख है। मनुष्य हंसते हुए जीवन का हर पल जिंदादिली के साथ जी सकता है और अपनों के साथ सुख भरे क्षणों का आभास कर सकता है। हंसना एक प्राकृतिक दवा है, जिससे कि मनुष्य को अवसाद, उत्कंठा, डिप्रेशन, माइग्रेन, सिर दर्द, तनाव जैसे रोगों में तुरंत आराम मिलता है। लाफ थेरेपी और हास्य कवि सम्मेलन भी इसका एक हिस्सा है।

हँसने को एक आंतरिक व्यायाम माना जाता है। हँसने के दौरान पेट, श्वशन प्रणाली, कंधो, चेहरे की मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है। जोर-जोर से हँसने से हमारे दिल की अच्छी कसरत हो जाती है। केवल हंसने मात्र से ही सरलता से अच्छी नींद आ जातीहै, जोकि आपकी सुंदरता को बढ़ाती है। इस तरह से रात को सोने से पहले अगर आप कुछ देर हंस ले तो बहुत फायदा होता है।

हंसना ही एक मात्र उपाय

हंसो-हंसाओ जैसे प्यारे शब्द सुनते ही हर मनुष्य का मन खुशी से फ़ूलों की भांति खिल उठता है, जैसे किसी छोटे बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना मिल जाने पर वह अपनी खुशी से फूला नहीं समाता, उसके भीतर नई उमंग और उत्साह का संचार होता है। हंसने से तनाव दूर होता है, शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है और हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। कभी-कभी समस्त सुख-सुविधाओं के होते हुए भी कुछ ऐसी परिस्थितियाँ पैदा हो जाती हैं कि मनुष्य तनाव में घिर जाता है। जीवन के सजीव सुखमय पलों एवं स्वस्थ जीवन जीने के लिये हंसना ही एक मात्र उपाय है।

मनुष्य स्वभाव से आनन्दप्रिय है

मनुष्य स्वभाव से आनन्दप्रिय है। वह जीवन के हर पल को जीना चाहता है, उसका भरपूर आनन्द उठाना चाहता है। आजकल रुलाने वाले तो बहुत मिल जाते हैं, लेकिन किसी के दर्द को बांट कर उसे खुशी के दो पल दे देना ही हमारा उद्देश्य है। उसकी मुस्कुराहट को मूर्त रूप देकर उसे आनंद पहुंचाना, जिसके कारण वह अपने दर्द को भूल जाए और उन पलों को हंसते हुए सकारात्मक सोच में परिवर्तित कर दे। इस उद्देश्य की सफलता के लिए हम सभी प्रयासरत हैं। यह जीवन का ऐसा बहुमूल्य क्षण है जो हमें परमात्मा से आत्मसात कराने में सक्षम है।

चिंता का निदान

चिंता को दूर करने के लिए हम आपके लिए कुछ ऐसे मजेदार चुटकुले लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे। लोगों को हँसाने के लिए अच्छे चुटकुले होने चाहिए। एक चुटकुला या मज़ेदार कहानी सुनाकर आप लोगों को हँसा सकते हैं। चुटकुला एक ऐसी साहित्य की विधा है, जिसमे हम शब्दों को इस तरह से प्रयोग करते हैं कि कई बार विपरीत परिस्थिति में भी हास्य उत्पन्न हो जाता है। चुटकुले का वह मज़ेदार हिस्सा जिसे सुनकर लोग हँसते हैं, उसे पंचलाइन कहते हैं। यह अक्सर आश्चर्य, व्यंग्य या शब्दों का खेल होता है।

चुटकुला का मतलब क्या होता है?

चुटकुला दो शब्दों के मिलन से बनता है “चुट एवं कला”। चुट यानी चुटीला, जिसका रसास्वादन करके थोड़ी देर के लिए मन में गुदगुदी हो जाए, प्रफुल्लता आ जाए और हँसी छूट पड़े। उसका स्मरण होने पर होंठों पर मुस्कान उभर आए और कला यानी उसको प्रस्तुत करने का अंदाज। कई बार बहुत मजेदार होने पर भी यदि सुनानेवाला उचित ढंग में और शैली में, यथोचित आंगिक अभिनय के साथ चुटकुला नहीं सुनाता तो सारा मज़ा जाता रहता है। वहीं बहुत सामान्य से चुटकुले में अच्छा सुनानेवाला अपनी प्रस्तुति का ऐसा चमत्कार पैदा करता है कि चुटकुला बड़ा मज़ेदार बन जाता है।

इस लिहाज से, पारंपरिक रूप से चुटकुले का प्राण-तत्व रहा है “उसे सुनाने का तरीका”। इसका अभिप्राय यह नहीं कि चुटकुले में विषयवस्तु का कोई महत्त्व नहीं। यदि विषयवस्तु ही नहीं होगी तो चुटकुला बनेगा कैसे? यानी विषयवस्तु चुटकुले का शरीर है। इसे शरीर के लिए भाषा का इस्तेमाल होता है। इस लिहाज़ से भाषा वह परिधान है, जिसे पहनकर चुटकुला देखने और सुनाने योग्य हो जाता है।

समय की कमी और Technology

अब चुटकुले कहने-सुनने का लोगों के पास न वक्त है, न अवसर। अब तो चुटकुले एसएमएस अथवा वॉट्सऐप किए जाते हैं। ऐसे वॉट्सऐप किए गए चुटकुलों को ही यार-दोस्त आपस में कह-सुन लेते हैं और उनपर हँस लेते हैं। सच कहें तो आज की भागती-दौड़ती और व्यस्तता भरी जिन्दगी में चुटकुला कहना-सुनना दूभर हो गया है। इसलिए अब चुटकुलों के लिखित रूप का ही अधिक प्राधान्य है और इस नाते उनकी कथन-शैली, भाषा आदि का महत्त्व अब अपेक्षाकृत बढ़ गया है। बहुत-से चुटकुले केवल भाषिक अभिव्यक्ति के कारण ही अपनी छाप दूसरों के मन में छोड़ जाती है।

कल्पना और सत्य

कोई बहुत-ही मज़ेदार संदर्भ हो, बड़ा ही गुदगुदानेवाला, हास्यास्पद प्रसंग हो तो उसके चारों ओर एक भाषिक ताना-बाना बुनकर चुटकुला तैयार हो जाता है। ये प्रसंग काल्पनिक भी हो सकते हैं और वास्तविक भी। आनन्द अथवा मज़े की हर व्यक्ति की अलग-अलग परिभाषा हो सकती है। इसीलिए कई बार जब कोई व्यक्ति चुटकुला सुनाता है तो पता ही नहीं चलता कि उसमें हँसने का अवसर कहाँ था। ऐसे चुटकुले पर जब हँसी नहीं छुटती तो सुननेवाले व्यक्ति हास्य का तत्व पैदा करने के लिए मजे लेते हुए पूछ लेते हैं- चुटकुला खत्म हो गया क्या?

सामाजिक पहलुओं पर विभिन्न Joke

चुटकुला बहुत-ही व्यक्ति-सापेक्ष होता है। बच्चों के चुटकुले अलग तरह के होते हैं, बड़ों के अलग। पुरुषों के चुटकुले अलग होते हैं, महिलाओं के अलग। चुटकुलों में धर्म, जाति, समाज के विभिन्न आर्थिक वर्गों आदि के अनुसार भी विभिन्नता पाई जाती है। चुटकुलों में एक मासूमियत है, जैसी बच्चों में देखने को मिलती है। चुटकुले भी हमारी सामाजिक मान्यताओं और धारणाओं से ही उपजते हैं।

विनोद-प्रिय

हम कैसे चुटकुले सुनते-सुनाते हैं, किसी-किसी चुटकुले में अनगिनत परिकल्पनाएं की गई होती हैं, जो चुटकुलों को बहुत-ही सौम्यतापूर्ण बना देती है, जिसे आप चाहें तो चार लोगों के बीच, अपने परिवार के सदस्यों के बीच सुना सकते हैं। हमारे चुटकुले हमारे व्यक्तित्व के रहस्यमय पहलूओं को उजागर कर मनुष्य के चरित्र पर उसकी छाप भी छोड़ते हैं। जीवन की विसंगतिपूर्ण स्थितियों पर चुटकुले सुनते-सुनाते हैं तो हमारे विनोद-प्रिय होने का प्रमाण तो मिलता है, हम अपने साथ अन्य लोगों में भी रसास्वाद उत्पन्न कर देते हैं।

सार

चुटकुलों की दुनिया बड़ी मज़ेदार है और मज़े की बात यह कि यह दुनिया हमारे बाकी के कार्य-व्यापार के साथ-साथ, समानान्तर चल रही है और निरन्तर कायम है। मनोरंजन से भरपूर जिन्दगी में से कुछ लम्हें चुराकर हँसना-हँसाना है, हास्य-रस का लुत्फ उठाना है तो निश्चय ही चुटकुले हमारे मनोरंजन के सबसे बड़े और सर्व-सुलभ साथी सिद्ध होंगे।

चुटकुला का मतलब क्या होता है?

चुटकुला, जोक या लतीफा का मतलब शब्दो की ऐसी संरचना जिसे सुनकर सुनने वाले के चेहरे पर मुस्कराहट आ जाये।

हंसने के क्या फायदे हैं?

हँसने को एक आंतरिक व्यायाम माना जाता है। हँसने के दौरान पेट, श्वशन प्रणाली, कंधो, चेहरे की मांसपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है।

चिंता का इलाज कैसे कर सकते हैं?

चिंता को दूर करने के लिए हम आपके लिए कुछ ऐसे मजेदार चुटकुले लेकर आए हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद आप हंसते-हंसते लोटपोट हो जाएंगे। लोगों को हँसाने के लिए अच्छे चुटकुले होने चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *