मेरा दोस्त अपनी शादी की बात बताने आया: 

खुश था दोस्त बहुत, उसकी शादी की बात चली थी। हम शांत थे, मन की पृष्ट्भूमि में यादें की खलबली थी।

हमें अपनी शादी का समय याद आ रहा था: 

अपना समय याद आया, कुछ खट्टी मीठी चित्रावली थी। कितने प्रसन्न थे हम, बस कुछ समय पहले, शादी के।

हम अपनी ख़ुशी अपनी दादी को बताने गए: 

कैसे झूमते हुए जाकर बैठे थे, पास अपनी दादी के। हंसी थी वह, बोली दिन शुरू हो गए तेरी बर्बादी के।

दादी की बात हमें समझ नहीं आई: 

समझ नहीं आया था तब, अब दोस्त को समझा सकते हैं। उसकी स्वप्न की दुनिया को, हकीकत दिखा सकते हैं।

हमने दोस्त को आराम से समझाया: 

कम शब्दों में, अपनी चुपी का कारण बता सकते हैं। रहता है आदमी शादी से, पहले गर्मजोशी में।

शादी के बाद होने वाले अपने हाल को बतया। हमें यह भी पता था कि उसे हमारी बात समझ नहीं आएगी फिर भी हमने कोशिश की:

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शादी के बाद, कुछ दिनों तक मदहोशी में। और उसके बाद, पूरा जीवन ख़ामोशी में।