तीन मित्र आपस में बात कर रहे थे। उनमें से एक ज्ञानी व्यक्ति बोल रहा था, "मन अनगिनत चाहतों की खान है, जिसके लिए हम निरंतर प्रयासरत रहते हैं...
...कई चुनौतियों का सामना करते हुए भी हम अपने लक्ष्य को पाने का भरसक प्रयास करते हैं। जिंदगी इसी का नाम है,परंतु जिंदगी में सिर्फ पाना ही सब कुछ नहीं है।
उनका भाषण अपने दूसरे दोस्त को समझाने के लिए था, लेकिन उनका तीसरा मित्र जो कि यह देख रहा था, कि भाषण देने वाले मित्र से दूसरा मित्र कुछ असहज है..
अब मित्र तो मित्र होते हैं, अपने दोस्त की परेशानी देख कर, इस माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए कुछ ऐसा बोला कि सब की हंसी छूट गयी :