शराब एक सामाजिक बुराई है। कुछ लोगों को शराब पीने से आनंद का अनुभव होता है और कुछ लोग तो इसके बिना रह ही नहीं सकते। परंतु...

... हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि शराब पीने के पश्चात् मनुष्य में तर्क करने की शक्ति खत्म हो जाती है। वह अच्छे-बुरे और नैतिक-अनैतिक में फर्क नहीं कर पाता। उसका दिमाग शिथिल पड़ जाता है...

... और विवेक शून्य हो जाता है। लेकिन पीने वाले को इन सब बातों से कोई मतलब नहीं होता। वह तो अपनी ही दुनिया में मगन रहता है। शराब के साथ अगर दोस्ती का रिश्ता जुड़ जाये...

... यानि कुछ दोस्त अगर मिल कर इस का सेवन करते हों तो तब हम कहेंगे, 'करेला ऊपर से नीम चढ़ा'। जब शराब पीने वाले दोस्त...

... आपस में फोन पर शाम का कार्यक्रम निश्चित करते हैं तो जैसे दुनिया का सब से बड़ा काम कर रहे होते हैं। आप भी उसे नए अंदाज में सुनिए और हंसी का लुफ्त उठाइए :