बच्चे का भावनात्मक, सामाजिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास हो, जिससे वह अपनी स्वतंत्र विचार-शक्ति को सोचने, समझने तथा कार्य करने में सफलतापूर्वक प्रयोग कर ...

...अपनी जिंदगी की बुनियाद रख सके। एक हंसी वाला स्कूल का किस्सा सुनिए। निरीक्षण विभाग से कुछ लोग स्कूल में आए थे, मैं भी उस दिन अपने बेटे की फीस जमा कराने के लिए उसके स्कूल...

...गया हुआ था। मुझे अपने बेटे की क्लास टीचर से कुछ बात भी करनी थी तो उन्होंने मुझे कुछ देर के लिए इंतजार करने को कहा। उसी समय एक निरीक्षण करने वाले ने बच्चों से पूछा...

...आप स्कूल में क्या सीखते हैं, स्कूल को परिभाषित करते हुए अपने विचार प्रकट कीजिए। तब एक छात्र ने जो कहा उसे सुनकर प्रिंसिपल तो गुस्से में आ गई , परंतु वहां खड़े सभी हंस हंस कर लोटपोट हो गए: